समय की तल्खियों से लैस एक ताजगी लिए ये कवितायेँ हरे भाई के विस्तृत दृष्टि परास को सामने लाती है. थोड़ी चुप्पी के बाद ही सही इस तरह आना अच्छा लगा.अच्छी प्रस्तुति हेतु आभार!
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आगे और भी पढ़ने की उम्मीद रहेगी | ब्रजेश कुमार पाण्डेय के अनुसार समय की तल्खियों से लैस एक ताजगी लिए ये कवितायेँ हरे भाई के विस्तृत दृष्टि परास को सामने लाती है | थोड़ी चुप्पी के बाद ही सही इस तरह आना अच्छा लगा | अरुण चन्द्र राय ने कहा, हरेप्रकश नई पीढी के सशक्त हस्ताक्षरों में से हैं | इनकी कविता इस पीढी के द्वंद्व और संक्रमण की कविता होती है | जैसे मायावी संसार में वे लिखते हैं...
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आगे और भी पढ़ने की उम्मीद रहेगी| ब्रजेश कुमार पाण्डेय के अनुसार समय की तल्खियों से लैस एक ताजगी लिए ये कवितायेँ हरे भाई के विस्तृत दृष्टि परास को सामने लाती है| थोड़ी चुप्पी के बाद ही सही इस तरह आना अच्छा लगा| अरुण चन्द्र राय ने कहा, हरेप्रकश नई पीढी के सशक्त हस्ताक्षरों में से हैं| इनकी कविता इस पीढी के द्वंद्व और संक्रमण की कविता होती है| जैसे मायावी संसार में वे लिखते हैं..."जहां रहने का ठौर, मन वहां न लागे मितवा/चल, यहां नहीं, यहां नहीं, यहां नहीं..